ग्रुप के सभी सदस्यों को मेरा नमस्कार।।
पुरुषों के लिए विषेष सर्दी का तोहफा।।
हमने अवलेह तैयार किया है यह बहु उद्देशीय अवलेह कई प्रकार के लाभ करता है। विवाहित पुरुषों के लिए यह बलवीर्यवर्द्धक, यौनशक्ति दायक, स्तम्भनशक्ति बढ़ाकर शीघ्रपतन की स्थिति समाप्त करने वाला और पुष्टिकारक योग है। मधुमेह को छोड़कर अन्य प्रमेहों और वातजन्य विकारों को नष्ट करने वाला है। यह बना बनाया बाजार में नहीं मिलता, इसलिए घर पर ही बनाकर तैयार करना होगा। पूरे शीतकाल में सेवन करें और इसके गुणों का लाभ उठा कर मौज करें।अनुचित ढंग से आहार-विहार और कामुक चिंतन करने, अप्राकृतिक ढंग से यौन क्रीड़ा करने और सहवास में अति करने का दुष्परिणाम यह होता है कि युवक ठीक से जवान होने से पहले ही बूढ़ों जैसी निर्बलता और असमर्थता का अनुभव करने लगते हैं। ऐसे पीड़ित पुरुषों के लिए एक अति उपयोगी और लाभकारी योग है।
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घटक द्रव्य-आंवला, रुदंती, गिलोय सत्व, अश्वगंधा, हरड़, शतावर, चव्य, नागबला, वृद्धादारु, ब्राह्नी, प्रियंगु, वच, बिदारीकंद, जीवंती, पुनर्नवा, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीर काकोली, जीवन ऋषभक, मुग्दपर्णी, माषपर्णी, कौंच के बीज, तुलसी के बीज, सेमल मूसली, काकनासा, पिपली बड़ी, जटामांसी, शंखपुष्पी, तालमखाना, सोनापाठा,लाजवंती अंनतमूल, मुलहठी, विधारा, अमरबेल,श्वेत चंदन तुलसी के बीज शिवलिंगी के बीज सेमल के जड की छाल खिरैंटी के बीज गंगेरन के जड़ की सूखी छाल सौंठ दालचीनी बादाम गिरी चारौली छुहारे सभी 15-15 ग्राम,
लौंग जायफल जावित्री तेजपत्ता काली मिर्च 10-10 ग्राम,वंगभस्म त्रिंवगभस्म अकीकपिष्टी अभ्रकभस्म कांतिसारभस्म नागभस्म प्रवालपिष्टी सभी 10-10 ग्राम चांदीभस्म 5 ग्राम,गाय का दूध 800 ग्राम गाय का घी 500 ग्राम शुद्ध शहद 1 किलो।
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बनाने की विधि:- सर्वप्रथम सभी जडीबूटीयों को पीसकर चुर्ण बनालें और भस्मों को अलग रखें। अब जडीबूटीयों के चुर्ण को दूध मे डालकर धीमी आंच पर पकाएं जब पकते पकते गाढा खोआ बन जाए तो आंच से उतार लें हल्का ठंडा होने पर घी और भस्मों को अच्छी तरह मिलाएं उसके बाद थोड़ा थोड़ा शहद मिलाते हुए चलाते जाएं जब पूरी तरह आवलेह आपस मे मिलकर एकजान हो जाए तो किसी बर्तन मे संभाल कर रख लीजिए आपकी दवा तैयार है।।
सेवन विधी:-5-5 ग्राम दिन मे दो बार गुनगुने दूध से लेना है।।
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उपयोग:- काफी समय तक वीर्यनाश करते रहने , स्वप्नदोष , वीर्य प्रमेह के कारण शरीर खोखला , दुबला और कमजोर हो चुका हो , टाँगोँ मेँ कमजोरी , रीढ़ की हड्डी मेँ रात को जलन और गर्मी प्रतीत हो, इन्द्री मेँ संभोग के समय जोश न आये और इन्द्री भली प्रकार उत्तेजित न हो , स्त्री के पास जाते ही उत्तेजना आने से पहले ही वीर्य निकल जाये , संभोग करने पर इन्द्री शीघ्र ढीली हो जाने से रोगी संभोग न कर सके , चेहरा पीला व पिचका हुआ और आँखेँ अंदर धंसी हुई होँ , नपुंसकता , वीर्यनाश कर लेने के कारण ह्रदय अधिक धड़के , वजन गिरता जाये , भुख कम लगे , पढ़ने - लिखने और मानसिक कार्य करने पर सिरदर्द हो जाये , कमरदर्द रक्ताल्पता ,वीर्य प्रमेह , रोगी दुखी और अकेला रहेँ । हस्तमैथुन के रोगियोँ के लिए सर्वोत्तम औषधि है।
यह एक यौन शक्तिवर्द्धक, उत्तेजक और बल पुष्टिदायक योग है। इसके नियमित 2-3 मास तक सुबह शाम सेवन करने से वीर्य गाढ़ा और पुष्ट होता है, जिससे शीघ्रपतन और नपुंसकता की शिकायत दूर होती है। शरीर व चेहरा पुष्ट व तेजस्वी होता है। जो युवक गलत ढंग से यौन क्रीड़ा द्वारा वीर्यनाश करके नपुंसकता के शिकार हो चुके हों उन्हें इस नुस्खे का सेवन 2-3 मास तक अवश्य करना चाहिए।