मूली है आपके घर की डाँकटर @@@@
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औरतो के नख़रे की तरह मूली के भी अपने स्वाद भरे मिजाज है | बहुत सारी मूलीयाँ मीठी होती है | बहुत सारी फीकी होती है | बहुत सारी तेज करारीयाँ , जैसे कि दाँतों के नीचे तेज मिर्च आ गई हो | इसकी तासीर ठंडी होती है | फिर भी पेट के लिए लाभकारी है | इसके प्रयोग से भोजन स्वादिष्ट लगता है | पेट की गैस को दूर करती ही है , साथ में बदहज़मी और कब्ज में भी लाभकारी है |



कहावत है सुबह मूली पूली, दोपहर को मूली मूली , रात को मूली सूली ।
यानि सुबह को मूली खाना अमृत समान है । दोपहर को मूली सिर्फ मूली का ही स्वाद है । न फायदा न नुक्शान । रात को मूली खाना फांसी के बराबर है ,क्योकि रात को ठंड का पहर होता है , मूली की तासीर भी ठंडी । इसलिए कफ प्रकृति के लिए जहर सामान ।

कुछ प्रयोग ==>
* मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बंद हो जाती है |
*शूगर में मूली का रस लें |
*मूली का रस आंतडियों के लिए Antiseptic का कार्य करता है |
* पीलीया में कच्ची मूली लाभ देती है |
* एक कप रस में मिश्री मिलाकर पीने से खट्टे डकार ठीक होते है|
*मूली के रस में नमक और मिर्च डालकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है |
*मूली के ३ ग्राम बीज पीसकर लेने से गला साफ होता है |
* जो लोग हमेशा मूली खाते है उनपर बिच्छू का डंक बेअसर ही रहता है |
*१गिलास मूली रस पीने से पिसाब की जलन शांत होती है |
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