यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी तथा बड़ी तेजी से पहुंचती है। संक्रमणकारक विषाणु सांस द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे में पहुंचते हैं। फैलने के बाद फ्लू एक-दो दिन तथा कभी-कभी कुछ घंटों में सक्रिय हो जाता है।”
बच्चों में बुखार---
शिशुओं के लिए वायरल बुखार और अधिक कष्टदायी होता है। इससे उनका शरीर अक्सर पीला सा, कमजोर तथा सुस्त पड़ जाता हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई तो होती ही है, इसके अलावा उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इस दौरान शिशुओं में निमोनिया और सांस बढ़ने जैसी दिक्कतें भी पैदा हो जाती हैं।
किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खांसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।
वायरल बुखार के लक्षण--------
आंखें लाल होना
इस बुखार में शरीर का ताप 101 डिग्री से 103 डिग्री या और ज्यादा भी हो जाता है
खांसी और जुकाम होना
जोड़ों में दर्द और सूजन होना
थकान और गले में दर्द होना
नाक बहना होना
बदन दर्द होना
भूख न लगना
लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना
सिरदर्द होना
डॉक्टर के पास जाएं----
बुखार अगर 102 डिग्री से कम हैं तो आप एक दो दिन घरेलू उपचार कर सकते हैं लेकिन अगर लगातार बढ़ रहा है और सिर दर्द, कमजोरी, उल्टी, बदन दर्द के लक्षण दिखते हैं तो ये डेंगू या चिकनगुनिया का बुखार भी हो सकता हैं ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
घरेलू उपचार---
इस बुखार से निपटने के लिए कुछ प्राकृतिक एंटीबायोटिक दवाओं का सहारा लिया जाता है। आप चिकित्सक के पास जाएं उससे पहले कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी बुखार को कम या इससे पूरी तरह आराम पाया जा सका है। आइए आपको बताते वायरल बुखार के इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार, जो कि निम्नलिखित हैं-
1. धनिया चाय ---
एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
2- तुलसी के पत्ते का काढ़ा ---
वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी औषधि है तुलसी के पत्ते। आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।
चावल स्टार्च
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी या मांड के रूप में जाना जाता है)। एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
सूखी अदरक मिश्रण
अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।
सावधानी---
बुखार अगर 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही कर सकते हैं। मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें। पट्टियां तब तक रखें, जब तक शरीर का तापमान कम न हो जाए। पट्टी रखने के बाद वह गरम हो जाती है इसलिए उसे सिर्फ 1 मिनट तक ही रखें। दो दिन तक बुखार ठीक न हो तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।
बच्चों में बुखार---
शिशुओं के लिए वायरल बुखार और अधिक कष्टदायी होता है। इससे उनका शरीर अक्सर पीला सा, कमजोर तथा सुस्त पड़ जाता हैं। उन्हें श्वसन तथा स्तनपान में कठिनाई तो होती ही है, इसके अलावा उल्टी-दस्त भी हो सकते हैं। इस दौरान शिशुओं में निमोनिया और सांस बढ़ने जैसी दिक्कतें भी पैदा हो जाती हैं।
किसी अन्य रोग के साथ मिलकर वायरल बुखार रोगी की हालत को और भी खराब कर देता है। उदाहरण के लिए यदि खांसी के रोगी बच्चे को वायरल हो जाए तो उसका तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित हो सकता है। इसलिए पेचिश और क्षय रोग के मरीजों को इससे विशेष रूप से बचाना चाहिए।
वायरल बुखार के लक्षण--------
आंखें लाल होना
इस बुखार में शरीर का ताप 101 डिग्री से 103 डिग्री या और ज्यादा भी हो जाता है
खांसी और जुकाम होना
जोड़ों में दर्द और सूजन होना
थकान और गले में दर्द होना
नाक बहना होना
बदन दर्द होना
भूख न लगना
लेटने के बाद उठने में कमजोरी महसूस करना
सिरदर्द होना
डॉक्टर के पास जाएं----
बुखार अगर 102 डिग्री से कम हैं तो आप एक दो दिन घरेलू उपचार कर सकते हैं लेकिन अगर लगातार बढ़ रहा है और सिर दर्द, कमजोरी, उल्टी, बदन दर्द के लक्षण दिखते हैं तो ये डेंगू या चिकनगुनिया का बुखार भी हो सकता हैं ऐसे में तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
घरेलू उपचार---
इस बुखार से निपटने के लिए कुछ प्राकृतिक एंटीबायोटिक दवाओं का सहारा लिया जाता है। आप चिकित्सक के पास जाएं उससे पहले कुछ घरेलू नुस्खे आजमाकर भी बुखार को कम या इससे पूरी तरह आराम पाया जा सका है। आइए आपको बताते वायरल बुखार के इलाज के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार, जो कि निम्नलिखित हैं-
1. धनिया चाय ---
एक गिलास पानी में एक बड़ा चम्मच धनिया के बीच डालकर उबाल लें। इसके बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
2- तुलसी के पत्ते का काढ़ा ---
वायरल बुखार के लक्षण होने पर प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी औषधि है तुलसी के पत्ते। आधे से एक चम्मच लौंग पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े का हर दो घंटे में सेवन करें।
चावल स्टार्च
वायरल बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम घर उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी या मांड के रूप में जाना जाता है)। एक भाग चावल और आधा भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर, गर्म गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहुत आराम मिलता है।
सूखी अदरक मिश्रण
अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी है। एक कप पानी में दो मध्यम आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर को डालकर उबालें। दूसरे उबाल में अदरक के साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा थोड़ा पिएं। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है।
सावधानी---
बुखार अगर 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही कर सकते हैं। मरीज के शरीर पर सामान्य पानी की पट्टियां रखें। पट्टियां तब तक रखें, जब तक शरीर का तापमान कम न हो जाए। पट्टी रखने के बाद वह गरम हो जाती है इसलिए उसे सिर्फ 1 मिनट तक ही रखें। दो दिन तक बुखार ठीक न हो तो मरीज को डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं।